An organization spreading higher and deeper experience of nationalist thought of unity ,struggle and progress.
IMPORTANT NEWS
Friday, 30 October 2020
Thursday, 22 October 2020
It is requested to all that Circle Secretary
who are have not remitted Rs. 1000/- ( one thousand ) on the occasion of 40th
years of BPEF, are again requested to collect & remit Rs. 1000/- (One
Thousand) during distribution of Bonus in BPEF Account.
S.K.
Singh
Secretary
General
सभी उन प्रान्तीय सचिवों को सादर अवगत कराया जाता है कि महासंघ द्वारा अपने ४०वे स्थापना दिवस के अवसर पर आर्थिक सहायता के लिए की गई अपील जिन प्रान्तीय सचिवों ने नहीं पूरा किया है वे इस बोनस वितरण के अवसर पर अपने प्रत्येक सदस्य से रूपये १०००/- (एक हजार ) ले करके फेडरेशन के अकाउंट में भेजने का कष्ट करे l
संतोष कुमार सिंह
सेक्रेटरी जनरल
Tuesday, 20 October 2020
श्रद्धांजलि
--------------------------
बहुत ही दुःख के साथ यह सूचित करना पड़ रहा है कि भारतीय रेल डाक सेवा एवम्ं मेल मोटर सेवा कर्मचारी संघ
मेलगार्ड एवम एम टी एस के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री श्रृद्धेय श्री हरिबल्लभ सोनी जी आज दिनांक - 20.10.2020 को सायं लगभग 5.15 बजे अपने निवास स्थान पर ब्रंहलीन हो गए। वे 82 वर्ष के थे। भारतीय डाक कर्मचारी महासंघ की तरफ से, ब्रंहलीन महान आत्मा को ईश्वर अपने श्री चरणों में स्थान दें एवम शोक संतप्त परिवार को इस महान कष्ट को बर्दास्त करने की शक्ति प्रदान करें, हम ऐसी प्रार्थना करते हैं।
पूज्यनीय सोनी जी केवल एक ट्रेड यूनियन लीडर ही नहीं थे बल्कि राष्ट्रवादी विचारधारा के एक पुरोधा थे। उनके नाम से प्रशासन दबाव में आ जाता था। पूज्यनीय दत्तोपंत ठेंगड़ी जी का निरंतर उनके घर आना जाना था। संघ परिवार के वरिष्ठ पदाधिकारियो के लिए भी श्री सोनी जी घर रास्ते का एक पड़ाव था। आज भी अधिवेशनो में श्री सोनी जी द्वारा "मानवता के लिए उषा की किरण जगाने वाले हम" श्लोगन एक विशिष्ट अन्दाज में गाया जाता था।यह हमारा सौभाग्य था कि हमें श्रृद्धेय सोनी जी से ही राष्ट्रीय महामंत्री का दायित्व प्राप्त हुआ। श्री सोनी जी के ब्रंहलीन होने से इस संघ को अपूर्णनीय क्षति हुई है। एक बार पुनः हम अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
संतोष कुमार सिंह- महामंत्री- बी पी ई एफ
Monday, 19 October 2020
Wednesday, 14 October 2020
**** *राष्ट्रयोगी दत्तोपंत ठेंगड़ी*****
(14 अक्तूबर/ पुण्य-तिथि)
Add caption |
श्री दत्तोपन्त ठेंगड़ी बाल्यकाल से ही स्वतन्त्रता संग्राम में सक्रिय रहे। 1935 में वे ‘वानरसेना’ के आर्वी तालुका के अध्यक्ष थे। जब उनका सम्पर्क डा. हेडगेवार से हुआ, तो संघ के विचार उनके मन में गहराई से बैठ गये।
उनके पिता उन्हें वकील बनाना चाहते थे; पर दत्तोपन्त जी एम.ए. तथा कानून की शिक्षा पूर्णकर 1941 में प्रचारक बन गये। शुरू में उन्हें केरल भेजा गया। वहाँ उन्होंने ‘राष्ट्रभाषा प्रचार समिति’ का काम भी किया। केरल के बाद उन्हें बंगाल और फिर असम भी भेजा गया।
श्री ठेंगड़ी ने संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी के कहने पर मजदूर क्षेत्र में कार्य प्रारम्भ किया। इसके लिए उन्होंने इण्टक, शेतकरी कामगार फेडरेशन जैसे संगठनों में जाकर काम सीखा। साम्यवादी विचार के खोखलेपन को वे जानते थे। अतः उन्होंने ‘भारतीय मजदूर संघ’ नामक अराजनीतिक संगठन शुरू किया, जो आज देश का सबसे बड़ा मजदूर संगठन है।
श्री ठेंगड़ी के प्रयास से श्रमिक और उद्योग जगत के नये रिश्ते शुरू हुए। कम्युनिस्टों के नारे थे ‘‘चाहे जो मजबूरी हो, माँग हमारी पूरी हो; दुनिया के मजदूरो एक हो; कमाने वाला खायेगा’’। मजदूर संघ ने कहा ‘‘देश के हित में करेंगे काम, काम के लेंगे पूरे दाम; मजदूरो दुनिया को एक करो; कमाने वाला खिलायेगा’’। इस सोच से मजदूर क्षेत्र का दृश्य बदल गया। अब 17 सितम्बर को श्रमिक दिवस के रूप में ‘विश्वकर्मा जयन्ती’ पूरे देश में मनाई जाती है। इससे पूर्व भारत में भी ‘मई दिवस’ ही मनाया जाता था।
श्री ठेंगड़ी 1951 से 1953 तक मध्य प्रदेश में 'भारतीय जनसंघ' के संगठन मन्त्री रहे; पर मजदूर क्षेत्र में आने के बाद उन्होंने राजनीति छोड़ दी। 1964 से 1976 तक दो बार वे राज्यसभा के सदस्य रहे। उन्होंने विश्व के अनेक देशों का प्रवास किया। वे हर स्थान पर मजदूर आन्दोलन के साथ-साथ वहाँ की सामाजिक स्थिति का अध्ययन भी करते थे। इसी कारण चीन और रूस जैसे कम्युनिस्ट देश भी उनसे श्रमिक समस्याओं पर परामर्श करते थे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, स्वदेशी जागरण म॰च, भारतीय किसान संघ, सामाजिक समरसता मंच आदि की स्थापना में भी उनकी प्रमुख भूमिका रही।
26 जून, 1975 को देश में आपातकाल लगने पर ठेंगड़ी जी ने भूमिगत रहकर ‘लोक संघर्ष समिति’ के सचिव के नाते तानाशाही विरोधी आन्दोलन को संचालित किया। जनता पार्टी की सरकार बनने पर जब अन्य नेता कुर्सियों के लिए लड़ रहे थे; तब ठेंगड़ी जी ने मजदूर क्षेत्र में काम करना ही पसन्द किया।
2002 में राजग शासन द्वारा दिये जा रहे 'पद्मभूषण' अलंकरण को उन्होंने यह कहकर ठुकरा दिया कि जब तक संघ के संस्थापक पूज्य डा. हेडगेवार और श्री गुरुजी को 'भारत रत्न' नहीं मिलता, तब तक वे कोई अलंकरण स्वीकार नहीं करेंगे। मजदूर संघ का काम बढ़ने पर लोग प्रायः उनकी जय के नारे लगा देते थे। इस पर उन्होंने यह नियम बनवाया कि कार्यक्रमों में केवल भारत माता और भारतीय मजदूर संघ की ही जय बोली जाएगी।
14 अक्तूबर, 2004 को उनका देहान्त हुआ। श्री ठेंगड़ी अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे। उन्होंने हिन्दी में 28, अंग्रेजी में 12 तथा मराठी में तीन पुस्तकें लिखीं। इनमें लक्ष्य और कार्य, एकात्म मानवदर्शन, ध्येयपथ, बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर, सप्तक्रम, हमारा अधिष्ठान, राष्ट्रीय श्रम दिवस, कम्युनिज्म अपनी ही कसौटी पर, संकेत रेखा, राष्ट्र, थर्ड वे आदि प्रमुख हैं
Tuesday, 6 October 2020
IMPORTANT INFORMATION FOR GDS
As per demand of
BPEF/ Bharatiya Gramin Dak Karmachari Sangh, now the Department of Posts agreed
to grant three(3) time bound promotions i.e. 12-24-36 to GDS employees but it
will take some times due to COVID-19 pandemic. The Financial approval from the
Ministry of Finance is now only pending. The matter will be settled after the
normalcy of the pandemic.