इस राजनीतिक हड़ताल का यही हश्र होना था। केवल लोगों की भावना को भड़काकर श्रमिक हित के लिए नहीं बल्कि राजनैतिक दुर्भावना से विरोध के लिए विरोध करने की नीति पर बार बार हड़ताल कराने कि इनकी मनोवृत्ति को पूरा श्रमिक जगत समझ गया है जिसका परिणाम है कि इनकी ज्वाइंट स्ट्राइक पूरी तरह फेल हो गई। रेल एवं डिफेंस में तो कोई हड़ताल हुई ही नहीं साथ ही पोस्टल में भी गठबंधन के बावजूद इन्हे अपने है सदस्यों का सहयोग प्राप्त नहीं हुआ। वास्तव में आम कर्मचारी आज देख रहा है की किस तरह एन पी एस के साथ साथ कर्मचारियों कि सभी गम्भीर समस्याओं पर भारतीय मजदूर संघ सार्थक प्रयास कर रहा है।परिणाम भी आ रहे है। इन संगठनों ने 10 वर्ष कांग्रेस के शासन में कुछ नहीं किया। आज अच्छे परिणाम का आना इनसे हजम नहीं हो रहा है।इस हड़ताल का मुख्य कारण यही है।इस हड़ताल की असफलता से इन संगठनों को कुछ लेशन लेकर बी यम एस का साथ देना चाहिए। इसी तरह असफल राजनीतिक हड़तालें होती रही तो एक दिन पूरा ट्रेड यूनियन मूवमेंट समाप्त हो जाएगा जिसकी जिम्मेदारी इन्हीं तथाकथित का मरेडो की ही होगी
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